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पर्यटन स्थल

पर्यटन स्थल

नौलखा मंदिर

सुंदर नौलखा मंदिर देवी राधा और भगवान कृष्ण को समर्पित है और मुख्य शहर से लगभग 2 किमी दूर है। इसकी वास्तुकला पश्चिम बंगाल के बेलूर में रामकृष्ण मंदिर की तरह दिखती है। इस मंदिर में देवताओं की सुंदर मूर्तियां हैं जो लगभग 146 फीट ऊंची हैं। नौलखा मंदिर का निर्माण कोलकाता के एक शाही परिवार, पथुरिया घाट की रानी चारुशिला द्वारा नौ लाख रुपये के दान के साथ शुरू हुआ था।

मंदिर में संत बालानंद ब्रह्मचारी की एक मूर्ति भी है। इन्ही संत की सलाह पर मंदिर बनाया गया था। किंवदंती है कि पति के आकस्मिक निधन के बाद, रानी ने अपना घर त्याग। निराश और अकेली रानी की भेंट उस संत से हुई जिसने उसे मंदिर बनाने के लिए कहा।

बाबा मंदिर से दूरी: लगभग 4 की. मी.

यात्रा साधन: टैक्सी, ऑटो व अन्य छोटे वाहन । 

Naulakha Mandir
Tapowan

तपोवन

तपोवन पहाड़ियां देवघर से 10 किमी दूर स्थित हैं और तपो नाथ महादेव, जो भगवान शिव का मंदिर है, वहां का एक विशेष धार्मिक स्थल है। यहां का एक और आकर्षण, दरार वाली चट्टान है, जिसकी आंतरिक सतह में कथित तौर पर भगवान हनुमान का चित्र देखा जा सकता है। यह विशेष रूप से अद्भुत है क्योंकि दरार में रंग और ब्रश का इस्तेमाल करना चित्रकारी करना एकदम असंभव है। पहाड़ी के नीचे एक छोटा कुंड (जलकुंड) है और ऐसा माना जाता है कि देवी सीता इसमें स्नान करती थीं। इस प्रकार, इसे स्थानीय लोगों द्वारा सूक्त कुंड या सीता कुंड नाम दिया गया है।

तपोवन शब्द का अर्थ है ध्यान का वन और एक समय में, यह नागाओं (साधुओं) के लिए ध्यान स्थल (तपोभूमि) था। इसीलिए सका नाम तपोवन रखा गया है।

बाबा मंदिर से दूरी: लगभग 12 की. मी.

यात्रा साधन: बस, टैक्सी, ऑटो व अन्य छोटे वाहन । 

रिखीया आश्रम

यह छोटा और सुदूर गांव हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए किसी अमूल्य खजाने से कम नहीं है। बाबा बैद्यनाथ धाम से 12 किमी की दूरी पर स्थित रिखियापीठ, जिसे श्री श्री पंच दशनाम परमहंस अलखबरह भी कहा जाता है, देश के सबसे पुराने योग आश्रमों में से एक है। स्वामी शिवानंद सरस्वती के अनुयायी स्वामी सत्यानंद सरस्वती द्वारा स्थापित, आश्रम कई प्रबुद्ध संतों का निवास रहा है। इसे तपोभूमि के रूप में जाना जाता है, जो गहन साधना और स्वामी सत्यानंद की तपस्या का स्थान है। यहां व्याप्त शांति की वजह ऋषियों की उपस्थिति और उनकी कठिन साधना को ही माना जा सकता है। पीठ शब्द का अर्थ है उच्च शिक्षा का आसन, इस प्रकार रिखियापीठ ऋषि शब्द से बना है, जिसमें से ऋखिया व्युत्पन्न है, जिसका उद्देश्य है वेदों, उपनिषदों और पुराणों में वैदिक वंश के ऋषियों द्वारा प्रचारित प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार करना, साथ ही जाति, पंथ, राष्ट्रीयता, धर्म और लिंग की परवाह किए बिना सभी को आधुनिक कौशल प्रदान करना। 

बाबा मंदिर से दूरी: लगभग 12 की. मी.

यात्रा साधन: टैक्सी, ऑटो व अन्य छोटे वाहन । 

Rikhia
Satsang Ashram

सत्संग आश्रम

भारत में प्रमुख धार्मिक प्रतिष्ठानों में से एक, सत्संग आश्रम की दुनिया भर में 2,000 से अधिक शाखाएं हैं। सत्संग देवघर, ठाकुर अनुकुलचंद्र द्वारा शुरू की गई मुख्य शाखा है, जो हिमायतपुर (अब बांग्लादेश में स्थित) से देवघर में स्थानांतरित हुई। आश्रम में कमरे और छात्रावास के साथ बड़ी इमारतें हैं। आवास आगंतुकों के लिए उपलब्ध हैं और ऑनलाइन बुक किए जा सकते हैं। इसके पास एक रसोईघर है जहां खाने के पैसे नहीं लिए जाते हैं, जिसे आनंदबाजार कहा जाता है। परिसर में ही एक संग्रहालय और एक चिड़ियाघर है जो आगंतुकों के लिए खुले हैं।

बाबा मंदिर से दूरी: लगभग 4 की. मी.

यात्रा साधन: टैक्सी, ऑटो व अन्य छोटे वाहन । 

नंदन पहाड़

प्रसिद्ध नंदी मंदिर जहां स्थित है, वह नंदन पहाड़ एक पहाड़ी है जो शहर के किनारे पर स्थित है और उसके ठीक सामने है एक लोकप्रिय शिव मंदिर। बाबा बैद्यनाथ धाम स्टेशन से सिर्फ 3 किमी की दूरी पर स्थित,इस मंदिर को देखना कोई भक्त कभी नहीं भूल सकता है। नंदन पहाड़ पर अन्य कई अन्य मंदिर हैं, जिनमें से अधिकांश में भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिक की सुंदर मूर्तियां हैं। जैसा कि आख्यान है, एक बार जब रावण ने शिवधाम में जबरन प्रवेश करने की कोशिश की और जब नंदी (भगवान शिव का बैल), जो कि द्वार रक्षक थे, ने उसे रोक दिया। रावण क्रोधित हो उठा और उसे इस स्थल पर फेंक दिया और इसीलिए, पहाड़ी को नंदी के नाम से जाना जाता है। पहाड़ी शहर के सुंदर परिद्श्य और आश्चर्यजनक सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य भी प्रस्तुत करती है। एक मनोरंजन पार्क भी है जहां स्विमिंग पूल, खेल के मैदान और नौका विहार की सुविधा है।

बाबा मंदिर से दूरी: लगभग 3 की. मी.

यात्रा साधन: टैक्सी, ऑटो व अन्य छोटे वाहन । 

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